
दबंगो पर भारी कृष्णाबाई
- सूखा करार में विकास की हरियाली
- बेड़ीया समाज की बेटी ने उठाया पंचायत के विकास का बीड़ा
- तोड़ दी परंपराओं की बेड़ीयां
भूमिका कलम, भोपाल
सूखा करार ( जिला रायसेन) में आजादी के 63 साल से विकास का जो सूखा पड़ा था उस पर बेड़ीया समाज की बेटी ने हरियाली बिछाने का बीड़ा उठाया है। दबंगो को मात देकर सरपंच बनी कृष्णाबाई ने यहां न सिर्फ महिला विरोधी परंपराओं की बेड़ी तोड़ी बल्कि जागरूकता की अलख भी जगा दी। राई नृत्य और पांरपरिक वेश्यावृत्ति वाले इस गांव की लड़कियां अब शादी कर आत्मसम्मान के साथ जीवन गुजार रही हैं।
कृष्णाबाई की सफलता की कहानी यहीं नहीं थमीं, बल्कि गांव की सरकार की कमान अपने हाथ में लेने के बाद से अब तक वह पंचायत में आने वाले पांच गांवों के लिए दस लाख से अधिक के काम मंजूर कराकर उन्होंने सैकड़ों लोगों के लिए रोजगार जुटाया। समान्य सीट से सरपंच चुनाव के लिए जब कृष्णाबाई खड़ी हुईं तो उनके विरोधी कोई छोटे लोग नहीं थे। रामू महाराज, शंभु गुरूजी, हरीकिशन ठाकुर, भगवान सिंह ठाकुर जैसे गांव के जाने माने प्रतिष्ठितों से मुकाबला था कृष्णा का। कृष्णा कहती हैं यह मेरी नहीं गांव की महिलाओं की जीत हैं जिन्होंने मुझ पर जाति और पंरपराओं से हटकर विश्वास जताया है और आज भी महिलाओं के साथ मिलकर ही विकास की इबारत को अंजाम दे पा रही हूं।
दृष्टि ही बदल गई
सूखा करार की सकुन बाई कहती हैं की मैं अपने आंसू रोक ही नहीं पाती थी जब पांरपरिक वेश्यावृत्ति के कारण इस गांव के लोगों को अन्य गांव के लोग घृणा की नजरों से देखते थे। कृष्णा बाई ने चुनाव लड़ने से पहले ही जागरूकता के काम शुरू कर दिए थे और उसके तहत ही 25 जोड़ों की शादी कराई गई थी। अब अन्य गांव के लोगों की दृष्टि हमारे प्रति बदली है।
उद्देश्य है ...सम्मानजनक जीवन
कृष्णाबाई के अनुसार सरपंच और महिला होने के नाते न सिर्फ बेड़ीया समुदाय की महिलाओं बल्कि सभी के लिए सम्मान का जीवन उनका उद्देश्य हैं। इसके लिए आवश्यक रोजगार और विकास के लगातार कामों के लिए वे संर्घष करती रहेंगी।
आठ महिनों में विकास की इबारत
- उचेर और करार गांव के लिए आंगनवाड़ी कक्ष तैयार एक लाख रुपए का काम।
- सीसी रोड़ के लिए अनोरी में 3.5 लाख और करार एक लाख की मंजूरी के बाद काम शुरू।
- सूखा करार में 2.5 लाख की नल जल योजना का काम जारी।
- बेड़ीया समाज की 6 लड़कियों की शादी।
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